Monday, February 4, 2013

एक शाम की विदा निशानी !

एक शाम की विदा निशानी ! व्याकुल नयनों की बेताबी पीपल के सायों में संहित आती जाती पतली गलियों के नुक्कड़ के आमों में संचित , नयी पुरानी कच्ची पक्की रस्मों कसमों वाली गठरी टेढ़ी मेढ़ी -- सीधी सादी सपनों वाली नाजुक टहनी , कभी लिखी जो गयी प्राण पर तेरी साँसों से अमर कहानी ,, अब तक जिससे गीत बने वो एक शाम की विदा निशानी !!

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