कितनी बार बहाने कितने,,,
पल पल तुमको ढूंढा पथ में ,,,
रोज नए प्रतिबिम्ब बनाये,,
मालुम है पर तेरे आगे
उपमाएं सब वारी जाएँ,,
फिर भी रचने की जिद में मैं,,
तुम पर लिखूं तराने कितने ,,
कितनी बार बहाने कितने,,,
तुम जब मुझसे दूर हुईं ,,
दुनिया की गुस्ताख दलीलें दे ,,
तब भी हमने था प्रेम लिखा
भीगे नयनों में कीलें दे,,,
हर बार नयी सुध गीत नए ,,
हर बार पीर के ताने कितने ,,
कितनी बार बहाने कितने,,
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