"मेरी रातों के अवारा साथी ,,
चुभती आँखों में गहरी नींद लिए,,
गगन से ताक रहे हैं मुझको,,
मैं भी सो जाऊं ये उम्मीद लिए,,
पर मेरी आँखों से नींद भी
गायब है रोज की ही तरह ,,
फिर वही अक्स परीशां है ,,
जो की मुझसा है,,
पर अब सोना पड़ेगा ,,
मुझको बस उन्ही के लिए ,,
जो अब भी झांक रहे हैं ,,
मुझे फलक से कहीं,,
वो मेरे जैसे नकारा साथी,,,
मेरी रातों के अवारा साथी,,,
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